यूं तो शौक न था हमें कभी,
महफ़िलों में शायरी पढ़ने का........
इक बेवफ़ा से क्या टकराए,
काग़ज़ पर कलम चलाने लगे........
जब सब पूछने लगे हमसे कि,
यहां आने में कितना वक्त लगा.......
कोई और होता ज़िंदगी लगती,
हमें तो यहां आने में ज़माने लगे......
©Poet Maddy
यूं तो शौक न था हमें कभी,
महफ़िलों में शायरी पढ़ने का........
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