दो वसंत संग के
धुन गा लो ओ वसुधा
दो वसंत संग के गुजरे जो,,
मेंहदी से रची थी हथेली तेरी
आज नरगिस खिलखिला रही
फूलों की कोमल क्यारी जैसी,,
ख्वाबों से सजी थी डोली तेरी,,
आज फिर सब आसमां
आंखों में बसा लो
सूर्य की धीमी लौ में
लाल जोड़ा पहनकर।।।
©Akash kumar
#togetherforever