हवाओं ने चुपके से कुछ बोला बिन समझे ही मेरा चेहरा | हिंदी कविता

"हवाओं ने चुपके से कुछ बोला बिन समझे ही मेरा चेहरा खिला न जाने इस झोंके के संग कई जाग उठे मेरे दिल में उमंग काली घटा और बरसते बादल उसमे दिखा मुझे उम्मीद का सुनेहरा आंचल कुदरत ने राज एक बताई बीते हुए पल की न होती भरपाई बरशातो में भिगो धूप में हसो सर्दी के जाड़ में कहीं थोड़ी आग सेको ये पल बीते तो न वापस आएगी जिंदगी है दो पल की न जाने कब बीत जाएगी ©Rose rose"

 हवाओं ने चुपके से कुछ बोला
बिन समझे ही मेरा चेहरा खिला

न जाने इस झोंके के संग 
कई जाग उठे मेरे दिल में उमंग

काली घटा और बरसते बादल
उसमे दिखा मुझे उम्मीद का सुनेहरा आंचल 

कुदरत ने राज  एक बताई
बीते हुए पल की न होती भरपाई

बरशातो में भिगो धूप में हसो
सर्दी के जाड़ में कहीं थोड़ी आग सेको 

ये पल बीते तो न वापस आएगी
जिंदगी है दो पल की न जाने कब बीत जाएगी

©Rose rose

हवाओं ने चुपके से कुछ बोला बिन समझे ही मेरा चेहरा खिला न जाने इस झोंके के संग कई जाग उठे मेरे दिल में उमंग काली घटा और बरसते बादल उसमे दिखा मुझे उम्मीद का सुनेहरा आंचल कुदरत ने राज एक बताई बीते हुए पल की न होती भरपाई बरशातो में भिगो धूप में हसो सर्दी के जाड़ में कहीं थोड़ी आग सेको ये पल बीते तो न वापस आएगी जिंदगी है दो पल की न जाने कब बीत जाएगी ©Rose rose

@Priyanka Modi @Anshu writer Rakhie.. "दिल की आवाज़" @Satish Sharma @__Jaislline__

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