मैं अब ज़िंदगी के उस मुकाम पे हूँ जहां मुझे अब लो | हिंदी विचार

"मैं अब ज़िंदगी के उस मुकाम पे हूँ जहां मुझे अब लोगो की खूबसूरती मुतासिर नहीं कर सकती बल्कि उनके अच्छे अख्लाक मुतासिर करते हैं ©Simab Eak Ehsaas"

 मैं अब ज़िंदगी के उस मुकाम पे हूँ 
जहां मुझे अब लोगो की खूबसूरती मुतासिर नहीं कर सकती 
बल्कि उनके अच्छे अख्लाक मुतासिर करते हैं

©Simab Eak Ehsaas

मैं अब ज़िंदगी के उस मुकाम पे हूँ जहां मुझे अब लोगो की खूबसूरती मुतासिर नहीं कर सकती बल्कि उनके अच्छे अख्लाक मुतासिर करते हैं ©Simab Eak Ehsaas

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