मोहब्बत में सब कुछ *हासिल* नहीं होता हर कोई मोहब् | हिंदी Poetry

"मोहब्बत में सब कुछ *हासिल* नहीं होता हर कोई मोहब्बत के *गाफ़िल* नहीं होता । टूट कर चाहने लगे किसी को ऐसा कोई आजकल *फ़ाज़िल* नहीं होता । समझ न सके जो तुम्हारे मन की आवाज इतना भी कोई *जाहिल* नहीं होता । कमियां अनगिनत है सभी मे आजकल हर इंसान यहाँ इतना *काबिल* नहीं होता । सफर ए मोहब्बत में साथ चल सके कर सके अकीदा ऐसा कोई *राहिल* नहीं होता । एतबार करके जो दगा करे बार-बार उस से बड़ा कोई *कातिल* नहीं होता । डूब जाती है कई कश्तियां इश्क के समंदर में सबकी किस्मत में "संध्या" *प्रतीक* जैसा साहिल नहीं होता । ©Gaurav's poetry nook"

 मोहब्बत में सब कुछ *हासिल* नहीं होता 
हर कोई मोहब्बत के *गाफ़िल* नहीं होता ।

टूट कर चाहने लगे किसी को 
ऐसा कोई आजकल *फ़ाज़िल* नहीं होता ।

 समझ न सके जो तुम्हारे मन की आवाज
 इतना भी कोई *जाहिल* नहीं होता ।

 कमियां अनगिनत है सभी मे आजकल 
हर इंसान यहाँ इतना *काबिल* नहीं होता ।

सफर ए मोहब्बत में साथ चल सके       
 कर सके अकीदा ऐसा कोई *राहिल* नहीं होता ।

एतबार करके जो दगा करे बार-बार        
 उस से बड़ा कोई *कातिल* नहीं होता ।

 डूब जाती है कई कश्तियां इश्क के समंदर में
 सबकी किस्मत में "संध्या" *प्रतीक* जैसा साहिल नहीं होता ।

©Gaurav's poetry nook

मोहब्बत में सब कुछ *हासिल* नहीं होता हर कोई मोहब्बत के *गाफ़िल* नहीं होता । टूट कर चाहने लगे किसी को ऐसा कोई आजकल *फ़ाज़िल* नहीं होता । समझ न सके जो तुम्हारे मन की आवाज इतना भी कोई *जाहिल* नहीं होता । कमियां अनगिनत है सभी मे आजकल हर इंसान यहाँ इतना *काबिल* नहीं होता । सफर ए मोहब्बत में साथ चल सके कर सके अकीदा ऐसा कोई *राहिल* नहीं होता । एतबार करके जो दगा करे बार-बार उस से बड़ा कोई *कातिल* नहीं होता । डूब जाती है कई कश्तियां इश्क के समंदर में सबकी किस्मत में "संध्या" *प्रतीक* जैसा साहिल नहीं होता । ©Gaurav's poetry nook

People who shared love close

More like this

Trending Topic