मोहब्बत जब आसानी से
बिना मांगे मिलने लग जाए
और इसका फल ज्यादा लगने लगे तो सस्ती
लगने लगती है और जब सस्ती हो जाती है
तो उसमें दिलचस्पी कम हो जाती है
फ़िर भावनाओं की मण्डी
में इसकी कीमत गिरने लगती है
और सब दावे झूटे लगने लगते हैं।
-भारती कश्यप
©Bharti kashyap
# मोहब्बत