किसान- प्रजापालक" प्रजा पालक, भूमि का स्वामी, दि | हिंदी Poetry V

""किसान- प्रजापालक" प्रजा पालक, भूमि का स्वामी, दिन-रात मेहनत करता कामी। उसके हाथों में जादू है, ना वह अफसर ना वह बाबू। वह सूरज के साथ उठता है, और चाँद के साथ सोता है। उसकी मेहनत का फल देखो, जो खेतों में खिलखिलाता है। वह वर्षा की बूंदों का इंतज़ार करता है, और फसलों को पनपाता है। उसका प्यार भूमि के लिए सच्चा है, जो बीज बोता है, वह फसल लाता है। उसकी मेहनत का फल सबको मिलता है, और वह खुशी से अपना जीवन जीता है। प्रजा पालक, कमेरा किसान है, जो भूमि को जीवन, कर देता दान है। ©Vijay Vidrohi "

"किसान- प्रजापालक" प्रजा पालक, भूमि का स्वामी, दिन-रात मेहनत करता कामी। उसके हाथों में जादू है, ना वह अफसर ना वह बाबू। वह सूरज के साथ उठता है, और चाँद के साथ सोता है। उसकी मेहनत का फल देखो, जो खेतों में खिलखिलाता है। वह वर्षा की बूंदों का इंतज़ार करता है, और फसलों को पनपाता है। उसका प्यार भूमि के लिए सच्चा है, जो बीज बोता है, वह फसल लाता है। उसकी मेहनत का फल सबको मिलता है, और वह खुशी से अपना जीवन जीता है। प्रजा पालक, कमेरा किसान है, जो भूमि को जीवन, कर देता दान है। ©Vijay Vidrohi

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