धूप थी गांव में पर चुभती नहीं थी , ऐ शहर , तेर | हिंदी विचार

"धूप थी गांव में पर चुभती नहीं थी , ऐ शहर , तेरी छाव ने भी पसीने निकाल दिए..."

 धूप थी गांव में पर चुभती नहीं थी ,
 
ऐ शहर , 

तेरी छाव ने भी पसीने निकाल दिए...

धूप थी गांव में पर चुभती नहीं थी , ऐ शहर , तेरी छाव ने भी पसीने निकाल दिए...

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