फटी जीन्स हो या फटी कुर्ती
बुरी नजर से वो रोज बचती,
तुम घूरते हो उसको रोज जैसे
बेशरमी की सीमा पार कर दी,
फिर पहनावे को कोसते तुम
वो भी तो है किसी की लड़की,
फिर बोलते हो उस मीडिया से
संस्कारों की बातें नहीं है गलती,
क्या खोल डालूँ मैं राज सबका
गद्दारों की गाड़ी में होगे तुम भी,
वो पहनेगी मर्जी में जो होगा
तुम दिखाते रहो फर्जी देशभक्ति ।
©avdhesh negi
#Women