"संवेदना
मिट रही हैं आज सब संवेदनाएँ
दर्द से संबंध अपना हो गया मौन से अनुबंध अपना हो गया भूल बैठे प्रीत की सब अर्चनाएँ मिट रही हैं आज सब संवेदनाएँ
है अँधेरा हर तरफ छाया हुआ रोशनी का गात पथराया हुआ सूर्य की खंडित हुई सब प्रार्थनाएँ मिट रही हैं आज सब संवेदनाएँ
हम लड़े यूँ तो सदा अन्याय से मात खायी किंतु अपनी राय से थम गईं आक्रोश की सब गर्जनाएँ मिट रही हैं आज सब संवेदनाएँ......!!!!
©Gyanendra Kumar Pandey"