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सितम सहकर भी तेरे तुमको अपना प्यार लिखता हूँ
डुबो कर खून में अपनी कलम में यार लिखता हूँ
तुम्हारे दर्द से आबाद रहता है मेरा ये दिल
कभी दिल का सुकूँ तो दिल कभी लाचार लिखता हूँ
फसेंगी ना कभी कश्ती जमाने के तुफानो में
तुम्हे जीवन की कश्ती का में खेवनहार लिखता हूँ
वही दिल है वही धड़कन मुहब्बत भी वही अपनी
में अपनी धड़कनों का तुम को पहरेदार लिखता हूँ
तिरी यादें सहारा है मिरी इस ज़िन्दगी का अब
बिना तेरे में अपनी ज़िन्दगी दुश्वार लिखता हूँ
करूँ किस पे यकीं यारा मिला जो दर्द तुमसे है
मुहब्बत में इसे अपनी में अब भी हार लिखता हूँ
( लक्ष्मण दावानी )
1/12/2016
©laxman dawani
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