हाय की तिरझी नज़र से मुड़ मुड़ के देखा उसने। चोरी | हिंदी शायरी

"हाय की तिरझी नज़र से मुड़ मुड़ के देखा उसने। चोरी से मेरे लिए अपना नंबर फेका उसने। सबकुझ मेरे साथ किया बस,लेकिन हर कोई उसका हौ गया जिसको भी नज़र उठा के देखा उसने। yamraj shing ©yamraj shing"

 हाय की तिरझी नज़र से मुड़ मुड़ के देखा उसने। 
चोरी से मेरे लिए अपना नंबर फेका उसने। 
सबकुझ मेरे साथ किया बस,लेकिन हर कोई उसका हौ गया जिसको भी नज़र उठा के देखा उसने। 
yamraj shing

©yamraj shing

हाय की तिरझी नज़र से मुड़ मुड़ के देखा उसने। चोरी से मेरे लिए अपना नंबर फेका उसने। सबकुझ मेरे साथ किया बस,लेकिन हर कोई उसका हौ गया जिसको भी नज़र उठा के देखा उसने। yamraj shing ©yamraj shing

dekhana usne

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