लिया जन्म बढ़ा हुआ
पांच साल का जब हुआ
मेरा बचपन शुरू हुआ
बस स्कूल से आना था
और खेलने चले जाना था
मां से एक घंटा कह जाते
वहां तीन-तीन घंटे बिताते
ना दिन की फिक्र थी
ना रात की फिक्र थी
ना भूख लगती
ना प्यास लगती
बस खेलने की चाह बढ़ती चली जाती
आज उस जगह जाते
तो आंखों से आंसू निकलते
और सोचते
क्या पता था कि इतनी जल्दी बड़े हो जाएंगे
और अपने-अपने काम में लग कर
अपना बचपन भूल जाएंगे
©Alok Kumar
वे बचपन