🌹 *اَللّٰهُﷻﷻﷻﷻ{﷽}ﷺﷺﷺمُحَمَّد*
🌹 *اَلصَّلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَیۡكَ يَارَسُوۡلَ اللّٰهِ ﷺ*
✺─━♕𝐌𝐔𝐇𝐀𝐒𝐁𝐀 𝐄 𝐃𝐄𝐄𝐍♕━─✺
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इस्लाम पर किए गए एतराज के जवाब
सवाल : यहूदी, ईसाई, जो अहले किताब हैं उनकी औ़रतों से निकाह जाइज़ है की नहीं ?(मुसलमान)
जवाब : अहले किताब मुसलमानों से क़रीब हैं, तौहीदे, रिसालत, वही, आसमानी किताब के मानने में तक़रीबन मुत्तफ़िक़ और औ़रत मर्द के मातेहत है, बहुत मुम्किन है कि मुसलमान ख़ाविंद की सोहबत से वोह इस्लाम क़बूल कर ले, इसलिए अहले किताब की औ़रतों से निकाह जाइज़ होने का अक्सर उलेमा सही क़रार दिया है और किसी मुसलमान औ़रत को कुफ़्फ़ार व मुशरेकीन से निकाह हराम है, अलबत्ता अगर वह इस्लाम क़बूल कर लें तो दुरुस्त है ख़्याल रहे कि जिसको अपने ईमान का ख़तरा हो वह ईसाई या यहूदी औ़रत से भी निकाह न करे, यहूदी और ईसाई औ़रत से निकाह अगरचे जाइज़ है मगर बेहतर नहीं, ख़तरनाक है, क्योंकि मर्द की सबसे बड़ी कमज़ोरी औ़रत है, अलबत्ता क़बूले इस्लाम की सूरत में जाइज़ है,
तफ़सीर इब्ने कसीर में है कि हज़रत हुजैफ़ा रदि अल्लाहु तआ़ला अ़न्हु ने ईसाई औ़रत से निकाह किया था, जब ख़लीफ़तुल मुस्लेमीन अमीरुल मोमिनीन हज़रत उमर रदि अल्लाहु तआ़ला अ़न्हु को मा'लूम हुआ तो आप ने लिखा कि फ़ौरन उसे तलाक़ दे दो, आप ने पूछा कि क्या ये हराम है ? फ़रमाया हराम तो नहीं मगर सख़्त ख़तरनाक है इस से ईमान ख़तरे में पड़ जाएगा और वाक़ई हज़रत उमर रदि अल्लाहु तआ़ला अ़न्हु का यह कौ़ल सही है, ईसाई यहूदी औ़रतों ने मुसलमानों को क़ौमी और सख़्त दिनी नुक़्सान पहुंचाया, मुसलमान बीवियां बनकर मुसलमानों के अहम राज़ों को अपनी क़ौम तक पहुंचाती रहीं, जिससे पूरी क़ौम को सख़्त नुक़्सानात उठाना पड़ा,1965 ई. में जब मिस्र, इसराईल के ख़िलाफ़ ख़ुफ़िया जंग की तैयारियों में मसरूफ़ था तो मिस्र के एक मुसलमान करनल की बीवी जो यहूदन थी, रातों रात मिस्र से इसराईल आई और उसने तमाम यहूदियों को बता दिया कि सुबह होते ही तुम्हारे ऊपर अ़रब बमबारी करेंगे और उनके जंगी तैयारी फलां फलां जगह से उड़ान भरेंगे, बस इतना सुनना था कि इसराईल ने सुबह होने से पहले ही मिस्र के उन फ़ौजी अड्डों पर बमबारी शुरू कर दी और इस त़रह उनके सारे मंसूबों को ख़ाक में मिला दिया।, बाद में उस यहूदन औ़रत ने अपने मुसलमान ख़ाविंद को फ़ोन किया कि मैं पहले यहूदन हूं बाद में तुम्हारी बीवी, मैं अपने ख़ाविंद से ग़द्दारी कर सकती हूं मगर अपनी क़ौम से नहीं, इस वाक़िये में अक़्ल मंदों के लिए इबरत है।
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©Usman Khan
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