मनमोहक थे फूल खिले जो
जुगुनु सम चमक रहे थे वो सारे
कली बन बन मुस्काऐ वो
स्वप्न जो देखे थे प्यारे
स्वरलिपि के सात सुरों को
तान बन बन ज्यों छेड़ा
रोम रोम से हर तान के
स्वप्नों का रेला निकला
कली कली से जाकर टकराया वो
संगीत अति पावन बिखरा
ध्वनि और खुश्बू का मिलन हुआ
मनमोहक चित्रण निखरा
स्वप्न बीज से पुष्प बना जो
उससे फल मीठा निकला
वृक्ष खड़ा हुआ धरा पे
कई पथिकों का आश्रय निकला
बोते रहो बीज स्वप्न के
बनते रहो मार्ग द्वीप के तारे
तुमसे एक दिन चमकेगे
बुझे हुऐ कई चिराग न्यारे।
IG.cm- @krishn_ratii
शीर्षक-सपनों के आगे क्या❤️
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