Unsplash ०(संघर्ष से समाज तक)० युवा दर-भटक | हिंदी कविता

"Unsplash ०(संघर्ष से समाज तक)० युवा दर-भटकते शहर संस्थानों में कही तो मिले रोजगार यू. पी. घराने में। अन्तर्मन में समेटे किताबों के तहों से, ख्वाबों के दिए आँखों को तपाते। संघर्ष हर कदम हर क्षण रह जाते कि, कहाँ है मंजिल, कितना है चलना? काफिला मिल जाएगा, यह सोच मन द्रवित हो उठता क्योंकि, होंगे राह तकते ' दो कोमल हृदय' गांवों में। इससे परे जो उठता है मेरा मन! छात्र जीवन दौड़ता संसद से सड़क तक की गलियारों में। खाता थपेड़े शब्दों के नाउम्मीदों के, मन में लिए समाज से अपमान का भय, समाज से परे हैं,अंततः अपनी दुनियां बसाते।। @रीतिका सिंह ©SINGH Ritu thakur"

 Unsplash        ०(संघर्ष से समाज तक)०

युवा दर-भटकते शहर संस्थानों में
कही तो मिले रोजगार यू. पी. घराने में।
अन्तर्मन में समेटे किताबों के तहों से,
ख्वाबों के दिए आँखों को तपाते।

संघर्ष हर कदम हर क्षण रह जाते कि,
कहाँ है मंजिल, कितना है चलना?
काफिला मिल जाएगा, यह सोच मन द्रवित हो उठता क्योंकि,
होंगे राह तकते ' दो कोमल हृदय' गांवों में।

इससे परे जो उठता है मेरा मन!
छात्र जीवन दौड़ता संसद से सड़क  तक की गलियारों में।

खाता थपेड़े शब्दों के नाउम्मीदों के,
मन में लिए समाज से अपमान का भय,
समाज से परे हैं,अंततः अपनी दुनियां बसाते।। 

                                                 @रीतिका सिंह

©SINGH Ritu thakur

Unsplash ०(संघर्ष से समाज तक)० युवा दर-भटकते शहर संस्थानों में कही तो मिले रोजगार यू. पी. घराने में। अन्तर्मन में समेटे किताबों के तहों से, ख्वाबों के दिए आँखों को तपाते। संघर्ष हर कदम हर क्षण रह जाते कि, कहाँ है मंजिल, कितना है चलना? काफिला मिल जाएगा, यह सोच मन द्रवित हो उठता क्योंकि, होंगे राह तकते ' दो कोमल हृदय' गांवों में। इससे परे जो उठता है मेरा मन! छात्र जीवन दौड़ता संसद से सड़क तक की गलियारों में। खाता थपेड़े शब्दों के नाउम्मीदों के, मन में लिए समाज से अपमान का भय, समाज से परे हैं,अंततः अपनी दुनियां बसाते।। @रीतिका सिंह ©SINGH Ritu thakur

#Book

People who shared love close

More like this

Trending Topic