बालिका है मान धरा की, बालिका है सम्मान धरा की, द | हिंदी कविता

"बालिका है मान धरा की, बालिका है सम्मान धरा की, दो कुलों को रौशन करती होती है भगवान धरा की । मत तोड़ो उसकी अरमां को उसे स्वतंत्र हो जीने दो, साथ जरा दे दो उसको भी आँगन में घूम लेने दो। गर्भ रूपी बागों में जरा सा बेटी को भी खिल लेने दो। राष्ट्रीय बालिका दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। @ shyam writes ©Radhe Shyam"

 बालिका  है मान धरा की, बालिका है सम्मान धरा की, 
दो कुलों को रौशन करती होती है भगवान धरा की ।

मत तोड़ो उसकी अरमां को उसे स्वतंत्र हो जीने दो, 
साथ जरा दे दो उसको भी आँगन में घूम लेने दो।
गर्भ रूपी बागों में जरा सा बेटी को भी खिल लेने दो।

       राष्ट्रीय बालिका दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
@ shyam writes

©Radhe Shyam

बालिका है मान धरा की, बालिका है सम्मान धरा की, दो कुलों को रौशन करती होती है भगवान धरा की । मत तोड़ो उसकी अरमां को उसे स्वतंत्र हो जीने दो, साथ जरा दे दो उसको भी आँगन में घूम लेने दो। गर्भ रूपी बागों में जरा सा बेटी को भी खिल लेने दो। राष्ट्रीय बालिका दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। @ shyam writes ©Radhe Shyam

#Childhood

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