...................................................................महान् बनाती है,
ये फितरत ,ये चाहत और आदत ही
आम इंसानों से ऐसे_ ऐसों को बिल्कुल अलग करती है,
जो प्रयास न छोड़ता हो,
जो उम्मीद ही औरों से न बल्कि
खुद के सिवाय किसी और से न लगाता हो,
वो इंसान आखिरी दम तक किसी का मोहताज नहीं हो सकता,
पर हां,,
कामयाबी जरूर एक दिन सदा के लिए ऐसों के मोहताज और गुलाम जरूर हो जायेगा,
खैर ये तो दस्तूर ही है सबका,,
कि,
जो गिर कर या गिर गिरकर भी संभल गया,
तो समझो कि
अच्छे- अच्छों से भी पहले ऐसे मासूमों और,
बेबस - लचारों का ही ..............नैया पार लग गया।
©Tᴇʀᴀ ʙᴀᴀᴘ
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