कैसे खयाल आये या कैसे जाए,
ये दिल की धड़कन मेरी अब रुक कैसे जाए ।
वो सारी तेरी यादें, मेरे ज़हन में गूंजा करती है,
इत्तफाक तो देखो, वो मोहब्बत किसी और से करती है ।
रात-दिन मैंने तेरे सपने देखे थे,
बिखरे वो ख्वाब सारे, जो मैंने देखे थे।
यूं अंगड़ाइयां लेने का खयाल क्यूं आया मन में तेरे,
अज़ब है ये इश्क़, कैसे-कैसे ख्याल लाता है मन में मेरे ।
कितनी फिकर रहती तेरी, कैसी होगी, क्या कर रही है,
दरअसल वो गुफ्तगू किसी और से कर रही है ।
ये जवानी फिर भी मोहब्बत को तरस रही है ।
© @nitesh__9000
#MichaelJackson