Unsplash हमारी तरह हमारी किताब को भी तड़पना पड़ा
तुम्हारा दिया हुआ गुलाब इसकी
किस्मत में न था
हमने जब भी सिसकियाँ भरकर तुम्हें याद किया
तुम्हारे दिल को पता तक न चला
शायद हमारा ही प्यार कमजोर था
जो तुम्हारी मौजूदगी को हकीकत न बना सका
अब अलविदा कह देंगे तुम्हें भी
इस ढलते साल के साथ
लेकिन तुम साथ नहीं ये दिल अब तक मान न सका।।
©Himanshi Bharti
#Book हर किताब के नसीब में गुलाब नहीं होता...।। 🌹