बड़ी आरज़ू है दीदार की, कुछ बात है है जरूरत इजहार की | हिंदी शायरी

"बड़ी आरज़ू है दीदार की, कुछ बात है है जरूरत इजहार की, कुछ बात है मैं ही नहीं फ़क़त तुम्हें सोचता हूँ मुझे हो रही है हिचकियाँ , कुछ बात है ©अंकित दुबे"

 बड़ी आरज़ू है दीदार की, कुछ बात है
है जरूरत इजहार की, कुछ बात है
मैं ही नहीं फ़क़त तुम्हें सोचता हूँ
मुझे हो रही है हिचकियाँ , कुछ बात है

©अंकित दुबे

बड़ी आरज़ू है दीदार की, कुछ बात है है जरूरत इजहार की, कुछ बात है मैं ही नहीं फ़क़त तुम्हें सोचता हूँ मुझे हो रही है हिचकियाँ , कुछ बात है ©अंकित दुबे

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