White अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लि | हिंदी कविता

"White अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। दरिया दूर दूर तक फैला है, अपने बाजुओं को देख पतवारें ना देख। लाखों से जंग लड़नी है तुझे, कट चुके हैं जो हाथ, उन हाथों में तलवारें ना देख। अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। हो सके तो किसी का रक्षक बन, किसी के नज़ारे ना देख। राख है चारों तरफ बिखरी हुई, राख में चिनगारियां ही देख , अंगारे ना देख। अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। ©Priyanka Poetry"

 White अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर,
दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख।
दरिया दूर दूर तक फैला है,
अपने बाजुओं को देख पतवारें ना देख।
लाखों से जंग लड़नी है तुझे,
कट चुके हैं जो हाथ, उन हाथों में तलवारें ना देख।
अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर,
दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख।
हो सके तो किसी का रक्षक बन,
किसी के नज़ारे ना देख।
राख है चारों तरफ बिखरी हुई,
राख में चिनगारियां ही देख , अंगारे ना देख।
अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर,
दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख।

©Priyanka Poetry

White अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। दरिया दूर दूर तक फैला है, अपने बाजुओं को देख पतवारें ना देख। लाखों से जंग लड़नी है तुझे, कट चुके हैं जो हाथ, उन हाथों में तलवारें ना देख। अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। हो सके तो किसी का रक्षक बन, किसी के नज़ारे ना देख। राख है चारों तरफ बिखरी हुई, राख में चिनगारियां ही देख , अंगारे ना देख। अपर पर नहीं, तू खुद पर काम कर, दीवारों पर लिखे सैकड़ों नारे ना देख। ©Priyanka Poetry

खुद पर काम कर

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