फर्क पड़ता है
किसी के होने से
किसी को खोने से
तनहा अकेले रोने से
करवट बदल बदल कर सोने से
खाली बैंक खाते से
झूठे रिश्ते नाते से
महंगे होते घर के किराए से
अपने में छिपे पराए से
अकेले भटकते कदमो से
हर दिन मिलते सदमो से
कमजोर होते शरीर से
खत्म होते जमीर से
बेबस होकर लिखने से
पेट के खातिर बिकने से
फर्क पड़ता है
©Ayush Mishra
#achievement