वो किसी और के सीने से लगकर अपने चेहरे को छिपा कर, | हिंदी शायरी

"वो किसी और के सीने से लगकर अपने चेहरे को छिपा कर, मुहब्बत बताती है, जिस्मो मे मिलकर " वो खुद को पाक बताती है, जरा सोचकर तो देखो " क्या यही मुहब्बत होती है! ©लेखक - हरिकांत राय"

 वो किसी और के सीने से लगकर 
अपने चेहरे को छिपा कर, मुहब्बत 
बताती है, जिस्मो मे मिलकर " वो 
खुद को पाक बताती है, जरा सोचकर 
तो देखो " क्या यही मुहब्बत होती है!

©लेखक - हरिकांत राय

वो किसी और के सीने से लगकर अपने चेहरे को छिपा कर, मुहब्बत बताती है, जिस्मो मे मिलकर " वो खुद को पाक बताती है, जरा सोचकर तो देखो " क्या यही मुहब्बत होती है! ©लेखक - हरिकांत राय

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