कसक! रहमत की डोर बांधे,काँधे से गिरता हु जुल्म सह | हिंदी Shayari Vide

"कसक! रहमत की डोर बांधे,काँधे से गिरता हु जुल्म सहती है रूहे, आसमा चिरता हू वे वादे प्यार राहो मे रह गयी दिल मे कसक लिए फिरता हू ।"

कसक! रहमत की डोर बांधे,काँधे से गिरता हु जुल्म सहती है रूहे, आसमा चिरता हू वे वादे प्यार राहो मे रह गयी दिल मे कसक लिए फिरता हू ।

#shayri, #vivek_singh_chandravanshi

#Flute

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