ऐतबार ए इश्क की आग में जलकर देखो ।
कभी बारिश में भी बाहर निकल के देखो ।
रह जाती है अकसर फूल दब कर किताबो में,
पुराने पन्नों को जरा सा पलट कर देखो ।
ये नदिया ये झरने ये सागर में क्या रखा है ,
कभी महबूब की आंखों में उतर कर देखो ।
दर्द, दवा, ख्वाब, सजा, यहां सब मिलेगा,
जरा जिन्दगी की राह में चल कर देखो ।
चलो छोड़ो गिलेशिकवे जाओ बात करो ,
तुम्हारे अजीज है वो जरा उन्हें आंखे भर कर देखो ।
तर्क से तो तुम मुझे कभी पराजित नही कर सकते ,
जीतना है मुझसे तो सुशील से सुशील बनकर देखो ।
©Brok Boy
#duniya Jalkar dekho