मुक्तक: गागर में सागर कठिनाई से जो लड़ जाए  उसको स | हिंदी कविता V

"मुक्तक: गागर में सागर कठिनाई से जो लड़ जाए  उसको सकता कौन हिला। जिसके अंतस शुद्ध भाव हो  उसका ही संसार खिला। पंथ दिखाकर सकल जगत को करे धर्म का कर्म वही। गागर में सागर  भरने  को  जिन्हें ज्ञान भंडार मिला॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी "

मुक्तक: गागर में सागर कठिनाई से जो लड़ जाए  उसको सकता कौन हिला। जिसके अंतस शुद्ध भाव हो  उसका ही संसार खिला। पंथ दिखाकर सकल जगत को करे धर्म का कर्म वही। गागर में सागर  भरने  को  जिन्हें ज्ञान भंडार मिला॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी

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