जिंदगी की भाग - दौड़ से थक जाना, तो वापस वही आना,

"जिंदगी की भाग - दौड़ से थक जाना, तो वापस वही आना, आज भी हर शाम इमामबाड़ा के बगल सिकंजी की दुकान में मुझे अपना इंतजार करते पाना, भीड़ देख कर बिलकुल मत घबराना, मेरे कंधे पर सर झुकाना, ज़माने को भुला जाना! ©Divya Kisku"

 जिंदगी की भाग - दौड़
से थक जाना,
तो वापस वही आना,
आज भी हर शाम इमामबाड़ा 
के बगल सिकंजी की दुकान में 
मुझे अपना इंतजार करते पाना,
भीड़ देख कर बिलकुल मत घबराना,
मेरे कंधे पर सर झुकाना,
ज़माने को भुला जाना!

©Divya Kisku

जिंदगी की भाग - दौड़ से थक जाना, तो वापस वही आना, आज भी हर शाम इमामबाड़ा के बगल सिकंजी की दुकान में मुझे अपना इंतजार करते पाना, भीड़ देख कर बिलकुल मत घबराना, मेरे कंधे पर सर झुकाना, ज़माने को भुला जाना! ©Divya Kisku

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