पैसे नहीं तो कोई अपना नहीं होते न मंदिर न मस्जिद के बाहर कटोरा लिए बैठे लोगों में न जात- पात न ऊंच -नीच ना तो भाई भतीजावाद दिखाए देता है !
थोड़ा सा हंसी खुशी क्या दिख जाती है , सभी चाणक्य नीति का धुरंधर बल्लेबाज बन जाते है !
©sanjay kumar mishra
#LetMeDrowm