आँख तर थी मगर मुस्कुराना पड़ा
उनके हाथों ज़हर हमको खाना पड़ा
लाख मैंने बताया लहू सुर्ख है
फिर भी दिल चीर के दिखाना पड़ा
उँगलियाँ मत ज़माने की मुझ पे उठें
इसलिए उनसे रिश्ता चलाना पड़ा
दिल में था घर में न आने दूंगा कभी
सामने आ गए तो बुलाना पड़ा
सामने जब वो आ गए मेरे
देख के झुकाना पड़ा
वो मेरे क़रीब थे बहुत
न जाने क्यूँ दूर से दिल बहलाना पड़ा
धमकियाँ रोज देती थी बिजली मुझे
इसलिए खुद नशेमन जलाना पड़ा
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