जीवन एक दृश्य दिनभर अपने वेगों में उड़ान भरकर म | हिंदी Video

" जीवन एक दृश्य दिनभर अपने वेगों में उड़ान भरकर मधुर तान से जग को गुंजायमान कर जब थकने लगी सुरमाधुरी एक कोयल तब बैठी जाकर निश्चिन्त एक डाल पर सहेज कर अपने नन्हे नन्हे पंखों को ढलते सूरज के अपलक दीदार को । मैं भी तो थक कर बैठी ही थी अभी प्रकृति की ओर खुलती खिड़की तले जहाँ से देखती रह गई अदभुत दृश्य पेड़ की डाल पर एक कोयल नीरव आकाश में थकता ढलता सूरज और बादलों का अब गहराता साया। लग रहा था कि जैसे सहज भाव में होकर कोयल अपनी कू कू की आवाज़ बंद कर आत्म संवाद की प्रेम की मौन गुफ्तगू कर अपने प्रीतम से कोयल बिन मिले मिलकर । अस्तांचल होता सूरज अपनी ही धुन में अपना रंग दिखाता क्षितिज में छिपकर अपनी रौशनी के अलग अलग रंगों में बिखेरता सुर्ख रंग लाल बादलों में और रंगों की होली खेल बादलों संग डूब रहा रंगरेज बादलों में विहंगम। उदास चुपचाप कोयल कुछ न कहती फिर इंतजार करती नव विहान का वो अंदाज खूब जानती है विधान का अब से हर दिन सांझ,खिड़की, कोयल और मैं टुकुर टुकुर ताकती उसी डाल पर। वो कोयल और खिड़की तले मैं हां मौन मुखरित एक दृश्य हैं जीवन | #किरण अग्रवाल "

जीवन एक दृश्य दिनभर अपने वेगों में उड़ान भरकर मधुर तान से जग को गुंजायमान कर जब थकने लगी सुरमाधुरी एक कोयल तब बैठी जाकर निश्चिन्त एक डाल पर सहेज कर अपने नन्हे नन्हे पंखों को ढलते सूरज के अपलक दीदार को । मैं भी तो थक कर बैठी ही थी अभी प्रकृति की ओर खुलती खिड़की तले जहाँ से देखती रह गई अदभुत दृश्य पेड़ की डाल पर एक कोयल नीरव आकाश में थकता ढलता सूरज और बादलों का अब गहराता साया। लग रहा था कि जैसे सहज भाव में होकर कोयल अपनी कू कू की आवाज़ बंद कर आत्म संवाद की प्रेम की मौन गुफ्तगू कर अपने प्रीतम से कोयल बिन मिले मिलकर । अस्तांचल होता सूरज अपनी ही धुन में अपना रंग दिखाता क्षितिज में छिपकर अपनी रौशनी के अलग अलग रंगों में बिखेरता सुर्ख रंग लाल बादलों में और रंगों की होली खेल बादलों संग डूब रहा रंगरेज बादलों में विहंगम। उदास चुपचाप कोयल कुछ न कहती फिर इंतजार करती नव विहान का वो अंदाज खूब जानती है विधान का अब से हर दिन सांझ,खिड़की, कोयल और मैं टुकुर टुकुर ताकती उसी डाल पर। वो कोयल और खिड़की तले मैं हां मौन मुखरित एक दृश्य हैं जीवन | #किरण अग्रवाल

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