रातें किसी याद में गुजरती हैं, दिन दफ्तर खा जाता ह
"रातें किसी याद में गुजरती हैं, दिन दफ्तर खा जाता है,
दिल जीने को लगता है , तो मौत का डर खा जाता है,
सच कहूं तो ऐसे दोस्त से आजिज़ हूं
जो मिलने पर बात नहीं करता, और फोन पर सर खा जाता है,,,"
रातें किसी याद में गुजरती हैं, दिन दफ्तर खा जाता है,
दिल जीने को लगता है , तो मौत का डर खा जाता है,
सच कहूं तो ऐसे दोस्त से आजिज़ हूं
जो मिलने पर बात नहीं करता, और फोन पर सर खा जाता है,,,