सामने मंज़िल थी और पीछे उस की आवाज़ , रुकता तो सफर ज | English Shayari V
"सामने मंज़िल थी और पीछे उस की आवाज़ ,
रुकता तो सफर जाता ,चलता तो बिछड़ जाता ,
मयखाना भी उसी का था ,महफ़िल भी उस की ,
अगर पीता तो ईमान जाता ,न पीता तो सनम जाता ,
सजा ऐसी मिली मुझ को ,ज़ख़्म ऐसे लगे दिल पर ,
छुपाता तो जिगर जाता ,सुनाता तो बिखर जाता …"
सामने मंज़िल थी और पीछे उस की आवाज़ ,
रुकता तो सफर जाता ,चलता तो बिछड़ जाता ,
मयखाना भी उसी का था ,महफ़िल भी उस की ,
अगर पीता तो ईमान जाता ,न पीता तो सनम जाता ,
सजा ऐसी मिली मुझ को ,ज़ख़्म ऐसे लगे दिल पर ,
छुपाता तो जिगर जाता ,सुनाता तो बिखर जाता …