New Year 2024-25 मैं सब कुछ ढूंढ लेती हूं रुमाल, घ | हिंदी Shayari

"New Year 2024-25 मैं सब कुछ ढूंढ लेती हूं रुमाल, घड़ी, मोज़े, किताबें, पिन, सुई.. खोई हुई बालियां…. इधर उधर रखी गई चाबियां.. सब कुछ ... हर एक चीज़ जो घर में किसी को नहीं मिली मैंने ढूंढ ली । पर मैं ढूंढ ही नहीं पा रहीं हूं ख़ुद को ... कि मैं मिल जाऊं किसी रोज़ अपने घर के किसी कोने में और कहूं अपने आप से देखो !! अब मिल गई हो तुम अब खोना नहीं ।। क्योंकि तुम्हे हार नहीं मानना है। हर हाल में जीना है अपने लिए। ©Neha Jain"

 New Year 2024-25 मैं सब कुछ ढूंढ लेती हूं
रुमाल, घड़ी,
मोज़े, किताबें,
पिन, सुई..
खोई हुई बालियां….
इधर उधर रखी गई चाबियां..
सब कुछ ...

हर एक चीज़ 
जो घर में किसी को नहीं मिली
मैंने ढूंढ ली ।

पर मैं ढूंढ ही नहीं पा रहीं हूं
ख़ुद को ...
कि मैं मिल जाऊं किसी रोज़
अपने घर के किसी कोने में
और कहूं अपने आप से 
देखो !! अब मिल गई हो तुम
अब खोना नहीं ।।
क्योंकि तुम्हे हार नहीं मानना है।
 हर हाल में जीना है अपने लिए।

©Neha Jain

New Year 2024-25 मैं सब कुछ ढूंढ लेती हूं रुमाल, घड़ी, मोज़े, किताबें, पिन, सुई.. खोई हुई बालियां…. इधर उधर रखी गई चाबियां.. सब कुछ ... हर एक चीज़ जो घर में किसी को नहीं मिली मैंने ढूंढ ली । पर मैं ढूंढ ही नहीं पा रहीं हूं ख़ुद को ... कि मैं मिल जाऊं किसी रोज़ अपने घर के किसी कोने में और कहूं अपने आप से देखो !! अब मिल गई हो तुम अब खोना नहीं ।। क्योंकि तुम्हे हार नहीं मानना है। हर हाल में जीना है अपने लिए। ©Neha Jain

#Newyear2024-25

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