मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं जटाओं में विराजित जिसक | हिंदी कविता Video

"मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं, आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं वस्त्र जिसका सिंह छाल हैं, मुठ्ठी में जिसके तीनों काल हैं, वहीं नीलकंठ वहीं महाकाल हैं, काशी में विश्वनाथ तों सौराष्ट्र में वो ही "सोमनाथ" हैं। ©Nitish Kumar Mishra "योद्धा युग" "

मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं, आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं वस्त्र जिसका सिंह छाल हैं, मुठ्ठी में जिसके तीनों काल हैं, वहीं नीलकंठ वहीं महाकाल हैं, काशी में विश्वनाथ तों सौराष्ट्र में वो ही "सोमनाथ" हैं। ©Nitish Kumar Mishra "योद्धा युग"

मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं
जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं,
आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं
स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं
वस्त्र जिसका सिंह छाल हैं,
मुठ्ठी में जिसके तीनों काल हैं,
वहीं नीलकंठ वहीं महाकाल हैं,
काशी में विश्वनाथ तों

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