ना फिक्र कोई न जुस्तजू है न ख्वाब कोई न आरजू है ये | हिंदी Shayari

"ना फिक्र कोई न जुस्तजू है न ख्वाब कोई न आरजू है ये शख्स तो कब का मर चुका है तो बेकफन ये लाश क्यों है? ©UvVishal Dixit"

 ना फिक्र कोई न जुस्तजू है
न ख्वाब कोई न आरजू है
ये शख्स तो कब का मर चुका है
तो बेकफन ये लाश क्यों है?

©UvVishal Dixit

ना फिक्र कोई न जुस्तजू है न ख्वाब कोई न आरजू है ये शख्स तो कब का मर चुका है तो बेकफन ये लाश क्यों है? ©UvVishal Dixit

#Zindagi

#Time

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