हाल क्या है मेरा इन दीवारों से पूछो,
क्यूँ अश्क़ बह रहे हैं आँखों से पूछो।
ज़ख्म मेरा भर ना पाया है अब तक,
वफ़ा कर रहे उन वफ़ादारों से पूछो।
हुआ क्यों मैं पागल दीवाना जहाँ में,
प्यार के दुश्मन ज़माने वालों से पूछो।
आदमी ही आदमी से डरने लगा क्यों,
चलो इंसानियत के ठेकेदारों से पूछो।
बिन तुम्हारे 'उजाला' कैसे जी रहा है,
महफ़िल में आ कर वफ़ाओं से पूछो।
©अनिल कसेर "उजाला"
दीवारों से पूछो