वो नशा था या शराब था होठों पे तेरे
वो नशा था या शराब था होठों पे तेरे ..........
सुबह उठा तो पता चला ख्वाब थे वो मेरे।।।।
ना कर इतना जित्तोजहन अब ना आयेंगे वो पल
वो खामोशी वो अल्फाज वो तुम्हारी तड़प।
हां ........ सो गया है जहां अब हमे भी सोने दो
बहुत जागे है राते अब हमे भी सोने दो ।।।।
ये भीगी राते है भीगा हुआ शमा भी
बारिश के तरह बह रही निगाहे है।।।।
ये बहती निगाहे ही।
बयान कर रही है वो सारी उल्फत
जो बिताए साथ पल थे।।
©Ankit Trivedi
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