एक वक़्त हुआ करता था
जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी
छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था
जब मैं स्कूल जाया करता था
अजीब सा नशा था बारिश के मौसम का
मैं सालों साल इंतजार किया करता था
क्या कहूँ उन दिनों की बारिश का
कुछ अलग ही बात थी उन दिनों
बारिश की बूंदों में
भिंग कर एक अजीब सा सुकून मिलता था
अब वो बारिश कहाँ
अब वो बारिश नसीब कहाँ
अब तो बारिश कीचड़ के समान लगती है
बिन बुलाए मेहमान की तरह लगती है
©Author Shivam kumar Mishra
एक वक़्त हुआ करता था
जब मुझे बारिश पसंद हुआ करती थी
छतरी होते हुए भी मैं बारिश में नहाया करता था