सच का दामन थाम के रखो दीलो मे इमान जींदा रखो कीसी | اردو شاعری اور غزل
"सच का दामन थाम के रखो
दीलो मे इमान जींदा रखो
कीसी ओर को देख के जलो नही
अपने आपको अपना गमगुस्सार रखो
ओर जनाब
तरक्की चाहीये तो शब्र करो
ओर खुदा पे यकीन रखो"
सच का दामन थाम के रखो
दीलो मे इमान जींदा रखो
कीसी ओर को देख के जलो नही
अपने आपको अपना गमगुस्सार रखो
ओर जनाब
तरक्की चाहीये तो शब्र करो
ओर खुदा पे यकीन रखो