जब शब्द बहुत ज़्यादा थक जाते हैं, ज़ुबां के बेज़ुबां होने में देर नहीं लगती....
मौन बेहतर लगता है, कुछ बताने, कुछ समझाने की इच्छा ही नही करती....
भावनाओं का भवंडर भी हो चाहे दिल के भीतर, एक आह भी नहीं निकलती....
खुद को ही समझाने फुसलाने में, मज़बूत बनाने में, हर शाम है गुज़रती....
©Ruchika
#bezubaan