मन की आखों से देखों क्योंकि यहाँ कौन किसकी सोचे , | हिंदी Shayari

"मन की आखों से देखों क्योंकि यहाँ कौन किसकी सोचे , सब अपने में ही मस्त है॥ मिलती नहीं फुर्सत यहाँ , सब अपना-अपना वक्त है॥ ©Amar Thakur"

 मन की आखों से देखों क्योंकि यहाँ कौन किसकी सोचे , 
सब अपने में ही मस्त है॥ 
मिलती नहीं फुर्सत यहाँ , 
सब अपना-अपना वक्त है॥

©Amar Thakur

मन की आखों से देखों क्योंकि यहाँ कौन किसकी सोचे , सब अपने में ही मस्त है॥ मिलती नहीं फुर्सत यहाँ , सब अपना-अपना वक्त है॥ ©Amar Thakur

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