नादान मनवा रे। किस किस को पुकारे। ये जग है, जग की | हिंदी कविता Video

"नादान मनवा रे। किस किस को पुकारे। ये जग है, जग की रीत है। कौन वक्त पे काम आया है ? स्वार्थ के खेल में सारा जहां। होड़ है आगे निकलने की। कोई गिरा,कोई दबा। लाशों पर दौड़ जारी है। ©Sapan Kumar Ghosh "

नादान मनवा रे। किस किस को पुकारे। ये जग है, जग की रीत है। कौन वक्त पे काम आया है ? स्वार्थ के खेल में सारा जहां। होड़ है आगे निकलने की। कोई गिरा,कोई दबा। लाशों पर दौड़ जारी है। ©Sapan Kumar Ghosh

# दौड़ जारी है...

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