साल दर साल यूं ही बदलते रहे। टूट के हम यूं फिर से | हिंदी शायरी

"साल दर साल यूं ही बदलते रहे। टूट के हम यूं फिर से संभलते रहे। धूल में मिल गये ख़्वाब सारे सनम। ज़ख्म दिल में छुपाये यूं चलते रहे। ©Chitra Chakraborty"

 साल दर साल यूं ही बदलते रहे।
टूट के हम यूं फिर से संभलते रहे।

धूल में मिल गये ख़्वाब सारे सनम।
ज़ख्म दिल में छुपाये यूं चलते रहे।

©Chitra Chakraborty

साल दर साल यूं ही बदलते रहे। टूट के हम यूं फिर से संभलते रहे। धूल में मिल गये ख़्वाब सारे सनम। ज़ख्म दिल में छुपाये यूं चलते रहे। ©Chitra Chakraborty

#सालोसाल

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