Guest "कभी निकल आए थे अपने घर से अजनबी शहर में अंज | हिंदी Poetry

"Guest "कभी निकल आए थे अपने घर से अजनबी शहर में अंजान बनकर, अब खुद के घर भी लौटते हैं सिर्फ मेहमान बनकर।।" ©Sanjiv Chauhan"

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"कभी निकल आए थे अपने घर से अजनबी शहर में अंजान बनकर,
अब खुद के घर भी लौटते हैं सिर्फ मेहमान बनकर।।"

©Sanjiv Chauhan

Guest "कभी निकल आए थे अपने घर से अजनबी शहर में अंजान बनकर, अब खुद के घर भी लौटते हैं सिर्फ मेहमान बनकर।।" ©Sanjiv Chauhan

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