बन पत्थर मैं बैठ गया।
आंखों में चमक,
होठों पर हंसी,
ज़ुबान पर भी कोई शिकायत ना थी।
सब ने सोच ये क्या बात हुई,
मैं इतनी जल्दी सब भूल गया।
फिर धीमी सी एक आवाज़ निकली,
"दिल की बात कहें तो किससे"
हैं अन्दर मेरे सहमा सा रूह,
कानों में थी मेरे हार की गूंज,
आंखों की नमी रातों को पोछा,
फिर दिखाया मैंने,
अपना ये हंसता सा रूप।।
©Anushka Anand
#dilkibaat