White आज भीड़ से दूर निकल आया हूँ मेरी तन्हाइयों, | हिंदी कविता

"White आज भीड़ से दूर निकल आया हूँ मेरी तन्हाइयों,सिसकियों को महसूस कर रही हो??? रूठना तो मेरी फितरत थी फिर क्यूँ तुम रूठी ये घर तुम्हारे बिना एक मकान बन गया••••••• तुम्हारे जाने के बाद आज ये जाना कि तुम से ही ये घर था। ये छत,दीवारें,खिड़कियों मानो सब चीख रही है••••••• तुम थी तो रौनक थी। तुम थी तो खिलखिलाहट थी। तुम थी तो चारों ओर खुशबू थी। तुम थी तो मेरी दुनिया आबाद थी। तुम ही तो मेरे बेटे की माँ थी। तुम ही तो मेरे घर की लक्ष्मी थी। तुम्हारे बाद अब ये जाना कि•••••••• मैं बहुत जगह गलत था तुम से माफी मांगनी थी तुम से बहुत कुछ कहना था लेकिन काश तुम से बात कर ली होती काश जाते हुए तुम गले लगा लेता काश तुम्हारा माथा चूम लिया होता लेकिन मैं तुम्हें देखे बिना ही चला गया पर तुम मेरा इंतजार करना उस अमरूद के पेड़ के नीचे हम फिर मिलेंगे चलते-चलते क्यूंकि प्रेम कभी मारता नहीं है। ©Ekta Singh"

 White आज भीड़ से दूर निकल आया हूँ 
मेरी तन्हाइयों,सिसकियों को महसूस कर 
रही हो???
रूठना तो मेरी फितरत थी
फिर क्यूँ तुम रूठी 
ये घर तुम्हारे बिना  
एक मकान बन गया•••••••
तुम्हारे जाने के बाद 
आज ये जाना कि 
तुम से ही ये घर था। 
ये छत,दीवारें,खिड़कियों 
मानो सब चीख रही है•••••••
तुम थी तो रौनक थी। 
तुम थी तो खिलखिलाहट थी। 
तुम थी तो चारों ओर खुशबू थी। 
तुम थी तो मेरी दुनिया आबाद थी।
तुम ही तो मेरे बेटे की माँ थी। 
तुम ही तो मेरे घर की लक्ष्मी थी। 
तुम्हारे बाद अब ये जाना कि••••••••
मैं बहुत जगह गलत था
तुम से माफी मांगनी थी 
तुम से बहुत कुछ कहना था 
लेकिन काश तुम से बात कर ली होती 
काश जाते हुए तुम गले लगा लेता 
काश तुम्हारा माथा चूम लिया होता 
लेकिन मैं तुम्हें देखे बिना ही चला गया 
पर तुम मेरा इंतजार करना 
उस अमरूद के पेड़ के नीचे 
हम फिर मिलेंगे चलते-चलते 
क्यूंकि प्रेम कभी मारता नहीं है।

©Ekta Singh

White आज भीड़ से दूर निकल आया हूँ मेरी तन्हाइयों,सिसकियों को महसूस कर रही हो??? रूठना तो मेरी फितरत थी फिर क्यूँ तुम रूठी ये घर तुम्हारे बिना एक मकान बन गया••••••• तुम्हारे जाने के बाद आज ये जाना कि तुम से ही ये घर था। ये छत,दीवारें,खिड़कियों मानो सब चीख रही है••••••• तुम थी तो रौनक थी। तुम थी तो खिलखिलाहट थी। तुम थी तो चारों ओर खुशबू थी। तुम थी तो मेरी दुनिया आबाद थी। तुम ही तो मेरे बेटे की माँ थी। तुम ही तो मेरे घर की लक्ष्मी थी। तुम्हारे बाद अब ये जाना कि•••••••• मैं बहुत जगह गलत था तुम से माफी मांगनी थी तुम से बहुत कुछ कहना था लेकिन काश तुम से बात कर ली होती काश जाते हुए तुम गले लगा लेता काश तुम्हारा माथा चूम लिया होता लेकिन मैं तुम्हें देखे बिना ही चला गया पर तुम मेरा इंतजार करना उस अमरूद के पेड़ के नीचे हम फिर मिलेंगे चलते-चलते क्यूंकि प्रेम कभी मारता नहीं है। ©Ekta Singh

काश

People who shared love close

More like this

Trending Topic