पता है???
बहुत दूर आ चुका था मैं, घनघोर कोहरे में पता ही नही चला, सामने टगे
बोर्ड पर नज़र पड़ी तो रुक गया, वही जहां हम उस सर्दी की रात में काफी देर तक साथ चलते रहे थे। तुम्हारे हाथो की गर्मी से सर्दी का एहसास मुझे छू भी नहीं पा रहा था। तुम्हे तकलीफ़ हो रही थी मगर हम उस रास्ते के बाद आने वाली मंजिल की और चलते चले जा रहे थे, बिना ये जाने की इन रास्तों पे कोई मोड़ भी है।
जानती हो, उस दिन गाड़ी खराब नही हुई थी, मैने जानबूझकर खराब की थी, वक्त। से कुछ लम्हे तुम्हारे साथ चुराकर गुजरने के लिए मुझे माफ़ कर देना।
आज वही पे रुक कर कुछ देर खड़ा कोहरे के उस पार झांकने की कोशिश करता रहा, ये जानते हुए भी की उस पार तुम नही हो,ये उम्मीद भी कोहरे की तरह होती है जब तक रहती है तब तक उस पार की सच्चाई पता ही नही चलती मेरी खाली और सख्त हथेलियां तुम्हारे स्पर्श को टटोल रही थी। मगर दिल में खामोशी चीख चीख के के रही थी की मेरी हथेलियों में उस रात चुराएं वक्त के सिवा कुछ भी नही है...........कुछ भी नही।।।।।।
#SadStorytel,ling
#तुम्हारा स्पर्श