बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड
"बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, तो मैं ठहर गई
शायद ये वही खिलौना था
जिसे मैं रखना चाहती थी पास अपने क़भी
आज खिलौना छोटा और मैं बडी होगई
फ़िर चल पड़ी मैं वहाँ से और न चाहकर भी उलझन बड़ी होगई। अरुणा"
बाज़ार में घूमते घूमते जब मेरी नज़र उस खिलौने पर पड़ी, तो मैं ठहर गई
शायद ये वही खिलौना था
जिसे मैं रखना चाहती थी पास अपने क़भी
आज खिलौना छोटा और मैं बडी होगई
फ़िर चल पड़ी मैं वहाँ से और न चाहकर भी उलझन बड़ी होगई। अरुणा