#IFPStorytelling हो तेरे हक़ में ये फ़ैसला कोई उम्मीद ही नहीं,बेईमा कोई गवाह भी तो पास तेरे अब *चश्म-दीद नहीं//१
*आंखो देखा
तुझे दाम इतने मिले जितने की ख़रीद ही नहीं,कि जो मकान बेचा भी तो अब *मुफ़ीद नहीं//२
*फायदेमंद
तुझे फिर से चुकाना होगा ये क़र्ज़ ऐसा लगता है,कि पास तेरे दिखाने को कोई अब *रसीद नहीं//३*बिल